अशोक - ' लालूजी ....दुःख पावोगे
अशोक - ' लालूजी ....दुःख पावोगे ? ' लालू - ' ना ...दुःख क्यांगो है ? मस्सै में चीस चालै जणा काळज्यै में शांति बापरै !! और गोडां में तो रीळ चालै ....जणा तो इयां लागै जाणै जेठ गै महिनै में ठंडी शिकंजी ही कंठा में नाख ली है खांसी आवै और छाती बाजै जणा इयां लागै कै , मल्हार राग में कोई भजन सुणावै .... डाक्टर सुई लगावै जणा मीठी मीठी गुदगुदी हुवै !! ' अशोक - ' ही ही ही ही ....लालूजी थे तो मजाक करो ' लालू - ' बाळुं माजन्यो तेरो ....मजाक शुरू कण करी रै तोतड़ ?? लालूजी दुःख पावो गे ? बेमार आदमी दुःख ही पावै !! और के मजा करै ? '